वक़्त
वक़्त
चार दिन की ये जिंदगानी किउं करता बर्बाद ।
वक़्त का पंछी, फर-फर भागे तु भी तो संग भाग ।
समय के साथ में चल रे बंधु, गा ले सुन्दर राग ।
नेक कर्म तु करते जाना, हो जीवन बेदाग़।
सब के दिल में जगह बना ले, सभी करेंगे याद।
चार दिन की ये जिंदगानी, किउं करता बर्बाद ।
वक़्त का पंछी फर-फर भागे ,तु भी तो संग भाग ।
एक दिन ऐसा आयेगा, अपने ही देंगे आग ।
वियर्थ की बातें बहुत हैं करता, अटल है ये संवाद।
रावण और सिकंदर के भी, हुए थे इनसे लाग ।
चार दिनों की ये जिंदगानी, किउं करता बर्बाद ।
वक़्त का पंछी फर-फर भागे, तु भी तो संग भाग ।
अनिल कुमार मंडल लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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