शाकाहार
शाकाहार
जय जय भोले भंडारी, बन मानव शाकाहारी
मांसाहार को त्याग दे युवा,चाहे नर हो या नारी
जय जय भोले भंडारी
कृषक न कोई अपमानित हो, उपजाते जो तरकारी
जय जय भोले भंडारी
मांस,मछली,अंडा सब छोड़े, बने सभी शाकाहारी
जय जय भोले भंडारी
कोई करें न यहाँ शिकायत, मांसाहार हैं लाचारी
जय जय भोले भंडारी
सब भोजन देते दाता, न मिले बन एकाहारी
जय जय भोले भंडारी
मांसाहार से पैदा करता हैं, तन और मन की बीमारी
जय जय भोले भंडारी
जिसका असर समाज पे पड़ता, बढ़ते हैं अत्याचारी
जय जय भोले भंडारी
जीव हत्या की चीख पुकार से, उठते हैं तरेंगे भारी
जय जय भोले भंडारी
प्राकृतिक आपदा बढ़ जाती हैं, चलती नही हैं होशियारी
जय जय भोले भंडारी
मांसाहार जो बंद करा दे,काम होगा ये सहकारी
जय जय भोले भंडारी
स्वस्थ समाज की रचना होगी, महके जीवन फुलवारी
जय जय भोले भंडारी
शाकाहार को खा के होता,तन ,मन अपना गुणकारी
जय जय भोले भंडारी
ऐसे तन मन में फिर फलता, दया, धर्म,प्यारी प्यारी
जय जय भोले भंडारी
सदगुण से दुर्गुण कटते हैं, जैसे बाँस कटे आरी
जय जय भोले भंडारी
जैसा अन्न हो वैसा ही मन कहते हैं दुनिया सारी
जय जय भोले भंडारी बन मानव शाकाहारी।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
9205028055
Comments
Post a Comment