मेरा भी उद्धार
मेरा भी उद्धार
रोटी का जुगाड़ करा के कर दो मेरा भी उद्धार ।
बेकारी बढ़ती ही जा रही कैसे होगा बेड़ा पार ।
बड़ा नहीं हम मांगे साहब छोटा सा दे दो रोजगार ।
जितने में हम जीवित रह सके मानेंगे तेरा उपकार ।
रोटी का जुगाड़ करा कर दो मेरा भी उद्धार ।
पढ़ लिख कर हम डिग्री लाए बिन रोटी सारे बेकार।
मुझे पढ़ाने के खातिर दादी के बिक गए गहने चार ।
बापू जो अक्सर कहते थे पढ़ लिख कर बन जा होशियार ।
उसके सपने बिखर गए जब बेटा बैठा बिन रोजगार ।
रोटी का जुगाड़ करा कर मेरा भी कर दो उद्धार ।
हाथ जोड़कर याचना करते सुन लो मेरे तारणहार ।
अभी तो संख्या इतनी है कि,हो सकता है इस पे विचार।
पांच बरस आगे की सोचो,होगा जब रोटी पर रार ।
दिल्ली फिर दिल्ली ना रहेगी,गुजेगी बस चीख पुकार ।
रोटी का जुगाड़ करा कर कर दो मेरा भी उद्धार ।
तुम ना रहोगे कुर्सी लेकर,मैं ना करूंगा कलम से वार ।
समय वो कैसा निद॔य, होगा चारों ओर हो अत्याचार ।
इससे कोई कहां बचेगा,भूख से जब होगी तकरार ।
रोटी का जुगाड़ करा के, कर दो मेरा भी उद्धार ।
बेकारी बढ़ती ही जा रही,कैसे होगा बेड़ा पार।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/गाजियाबाद
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