रोटी रोजगार

बजी सारंगी तंद्रा टूटी,हम तो मांगते हैं अधिकार ।

नहीं चाहिए जिओ डाटा,हमको दो रोटी रोजगार।


युवाओं की भीड़ बढ़ रही,क्या करके ये खाएंगे।

रोटी,कपड़ा और मकान कहो,उनके कहां से आएंगे।


सरकारें तो आती जाती,देश करेगा उनको याद।

जो देगा रोजी और रोटी,बांकी सब है उसके बाद।


अभी तो यह तंद्रा से जागे,क्या होगा जागे स्वभिमान।

 हाथ लिए जब चलेंगे करने,अपने शीश का ये बलिदान।


नवभारत का सृजन जो होगा,गद्दारों की जाए जान ।

कितना मोहक दृश्य बनेगा,सजेगा फिर से हिंदुस्तान।


ऐसी क्रांति आने वाली,जल्दी ही होगा आगाज।

अभी तो है सरकार भरोसे,जल्दी ही निकलेगीआवाज। 


पुरखों ने जो देखे सपने,ऐसा भारत हो तैयार।

धर्म जरूरी पड़ बिन रोटी,नहीं चले कोई सरकार।


विश्व बैंक का चक्कर छोड़ो,अपनों का कर दो उद्धार।

 उन के चक्कर में जो पड़ेंगे,देश का होगा बंटाधार।


अभी तो संख्या लाखों में है,क्या होगा जब अरबों पार।

 पेट के खातिर हर युवा के,कर में हो कोई हथियार।


बजी सारंगी तंद्रा टूटी,हम को दो रोटी रोजगार।

नहीं चाहिए जिओ डाटा, हम तो मांगते हैं अधिकार ।


                 अनिल कुमार मंडल

            लोको पायलट गाजियाबाद

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