समय का मोल


सूरज के केसरिया पथ पे,

कभी न बाधा आता हैं।

जो भी आता राह में इनके,

तेज से ही ढक जाता है।

राह में काले बादल आये,

क्या सूरज भय खाता है।

या जो बाधा राह में आये,

उससे वो टकराता है।

सूरज के केसरिया पथ पे,

जो भूधर आ जाता हैं।

उनके तेज के आगे भूधर,

नतमस्तक हो जाता हैं।

समय पे सूरज आता हैं ,

और समय पे सूरज जाता हैं

हाँ मानव के हाथ से देखो,

वक़्त ये फिसला जाता हैं।

बाधा कोई राह में आये,

उससे न टकराता हैं।

वक़्त की वो प्रतीक्षा करता,

जो आता और जाता हैं।

जो सुरमा विघ्नों से लड़ता,

वही अमर हो पाता हैं

मानव समय का मोल न करता,

फिर पीछे पछताता हैं।

वक़्त के साथ में जो भी चलता,

वही सफलता पाता हैं।२



    अनिल कुमार मंडल

 रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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