गुलाब की कलियों
गुलाब की कलियों पे देखो,
शबनम का नशा जब छाता हैं।
प्रकृति की अद्भुत रचना से,
मानव हर्षित हो जाता हैं।
लेकिन उसकी ये सुंदरता,
जब मानव मन को भाता हैं।
बागों से ये तोड़े जाते हैं,
मनु के घर पर आ जाता हैं।
देवालय में इसे चढ़ाओ,
या फिर चढ़े मजारों पर,
अपने से ये बिछड़ के देखो,
नवजीवन नही लाता हैं।
फूलों की सुंदरता ही देखो,
उसका नाश करता हैं।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
फूलों पर शबनम थी गिरी,माली ने उनको धो दिए।
जाति धर्म की नीति ने,नफरत के बीज बो दिए।
भगत सिंह आए थे भारत,देखें अपने मुल्क का हाल।
विस्मय होकर देखा पहले, चीत्कार भरे और रो दिए।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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