पवित्र हिंदी

 गंगा सी पवित्र हैं हिंदी,

सागर सा विशाल हैं।

शब्दों का भंडार हैं इसमें,

ये भारत का भाल हैं।

दिनकर ,बच्चन प्रेमचंद हुए,

इनके पुत्र हजार हैं।

मैकॉले के पुत्र को भाषा,

ये नहीं हैं स्वीकार हैं।

हिन्द देश का खाते हैं,

हिंदी पे करते वार हैं।

हिंदी की सेवा में देखो,

खोये कितने लाल हैं।

गंगा सी पवित्र हैं हिंदी,

सागर सा विशाल हैं।


हम भी इनके वीर पुत्र,

चलो इसका मान बढ़ाये।

हिंदी को सम्मान मिले,

चलो ऐसा कुछ कर जाये।

हम दिनकर, न बच्चन बनते,

जीतना हो कर पाये।

बिन हिंदी के भारत कैसे,

विश्व गुरु बन पाए।

हिंदी अपनी साफ छवि की,

इंग्लिश तो मायाजाल हैं।

इंग्लिश का जो त्याग करें हम,

हिंदी हो मालामाल है।

हिंदी में संस्कार हैं बसता

इंग्लिश तो हैं कंगाल हैं।

गंगा सी पवित्र हैं हिंदी,

सागर सा विशाल हैं।


             अनिल कुमार मंडल

         लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद

Comments

Popular posts from this blog

Best hindi poem -मजदूर

पुस में नूतन बर्ष

देख तेरे संसार की हालत