केसरिया पथ

दिनकर के केसरिया पथ पे कभी न बाधा आता है।

 जो भी आता राह में उनके तेज से ही ढक जाता है।

 दिनकर के केसरिया पथ पर कभी न बाधा आता है।

क्या काले बादल आने से रवि कभी भय खाता है ।

या जो आता राह में उनके तेज से ही ढक जाता है।

क्या कभी ग्रहण लगने से राह बदल हो आता है।

जो भी आता पथ में उनके तेज से ही ढक जाता है। 

उत्तम प्रवृत्ति के मानव का भी यही हाल हो जाता है।

अपने तेज से भ्रमित मनुज को सत्य का बोध कराता है।

 कितनी भी बाधाएं आये जरा नहीं घबराता है।

 सुख-दुख दोनों एक भाव से जी कर वो दिखलाता है।

तभी तो उनका तेज जगत में विश्वव्यापी कहलाता है। 

ऐसे दिव्य मनुज की गाथा जग को राह दिखाता है। 

दिनकर भी ऐसे वीरों के नमन में शीश झुकाता है।


                    अनिल कुमार मंडल 

                  रेल चालक/गाजियाबाद

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