सावन कुछ कहता हैं।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
उस पे जब ये चले हैं पुरवा,तन को जलाये कोई अगन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
विरहवेदना सही न जाए,2 मिलने का कोई करो जतन।
सावन की ये रिमझिम बारिश, कुछ कहती है सुनो सजन।
बरखा और इस भूमि का देखो,2 ऐसे में हो रहा मिलन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
भूधर लिपटे हरियाली में,2 जलधर से कर रहा लगन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
मोर,पपीहा झूमे गाये, 2 जीव-जंतु हैं सभी मगन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
ये मौसम तनहा जो बीते,2 पछताएंगे करें भजन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
मौसम के भाषा को समझो,2 कहती है क्या ठंडी पवन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
उस पर जब ये चले हैं पुरवा,2 तन को जलाये कोई अगन
बीत गया जो ये सावन,2 फिर तरसेंगे हम जनम-जनम।
विरहवेदना सही न जाए, मिलने का कुछ करो जतन।
सावन की ये रिमझिम बारिश,कुछ कहती है सुनो सजन।
उस पर जब ये चले हैं पुरवा,तन को जलाये कोई अगन।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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