चार जहर

 चार जहर दे घर से निकाल,

सुखमय जियो सैकड़ों साल।


उसके बाद जो मौत आएगी,

कष्ट न कोई दे पाएगी।


पहला जहर जिसे कहते चीनी,

मौत ले आये भीनी-भीनी।


मौत न देती आसानी से,

हाथ धुलाये जवानी से।


दूजा हैं जो नमक समुद्री,

जीवन कर दे गुदड़ी-गुदड़ी।


बी पी,टेंशन यही बढ़ाये,

हृदय रोग का करे उपाय।


तीसरा आया दुधिया मैदा,

जीवन भर दे मार लबेदा।


गठिया,मोटापा लेकर आये,

डाईबिटीज में होवे सहाय।


चौथा बचा रिफाइन तेल,

इसको खा लो जीवन फैल।


हृदयघात और लकवा लाता,

ब्रैनस्ट्रोक से गहरा नाता।


इसलिए सुन लो मेरी बात,

रोग न पुछे धरम न जात।


तन जैसा पायेगा रस,

वैसा जीवन होय सरस।


     अनिल कुमार मंडल 

  रेल चालक /ग़ाज़ियाबाद

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