माता की महिमा

 माता की महिमा आज लिखूंगा, बन के मैं तो मूक,बधिर।

बच्चों  पे  कोई  बाधा आये, माता  हो  जाती  हैं अधीर।

बच्चों  की  शिक्षा  में  बाधा, बनकर  आये  लाखों  तीर।

माता  सारी  बाधा  हरती, सह  लेती हर  तीर  का  पीड़।

ढाल बनाती तन-मन अपना, लिखती बच्चों का तकदीर।

रण  में  हो  या  जीवन  नैया, पुत्र से कहती  धरना  धीर।

माँ की एक ही  लालसा रहती, बेटा चमके  बनके सुधीर।

सब  दुःख  दाता मुझको दे दे, छू  न पाये  सुत को पीड़।


       अनिल कुमार मंडल

     रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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