अश्कों के गोले
अश्कों के गोले
ये पलकें, ये आंखें, ये अश्कों के गोले।
जो नैनो से छलके, कई राज खोले।
जो गम हो खुशी हो, ये दोनों में बोले।
सुख,दुःख के पल को ये तन्हा ही तोले।
खुशी की हो घड़िया, ये पलके भींगो ले।
ये पलके भींगो के भी, करती ठिठोले।
ये पलकें, ये आंखें, ये अश्कों के गोले।
जो नैनों से छलके, कई राज खोले।
जो दुःख का समय हो, हृदय ये टटोले।
करें दिल को ये हल्का,लगते हो फफोले।
देती फिर दिलाशा,की खुशियां संजोले।
किसी ने दी पीड़ा, तो बन जा तु शोले।
उनके भी दामन में, तु भर दे ये गोले।
ये पलके, ये आंखे, ये अश्कों के गोले।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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