सपनों में मेरे भी आया करो

 माँ शारदे को नमन🙏🙏🙏🙏🙏मंच को नमन🙏🙏🙏🙏🙏 मंच से जुड़े सभी कलमकारों एवम श्रोतागण को रेल चालक कवि अनिल कुमार मंडल का सादर प्रणाम🙏🙏🙏🙏🙏


 सपनों में मेरे भी आया करो

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कभी सपनों में मेरे भी आया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


कब तलक खामोशी से यू बैठेंगे हम।


कभी हमसे भी नजरें मिलाया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


मैं जो न न करू की न छेड़ो हमें।


हो जो रहमो करम छेड़ जाया करो।


कभी सपनों में मेरे भी आया करो।


कब तलक एक दूजे से हो हम खफ़ा।


सात फेरे लिये तो निभाया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


कभी बारिश का मौसम सताये अगर।


बेबजह जाके उसमे नहाया करो।


कभी सपनों में मेरे भी आया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


अकेले में बिस्तर जो काटे मुझे।


नींद आने से पहले जगाया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


हिज्र का डर जो तुमको सताये कभी।


सर को सज़दे में तुम भी झुकाया करो।


मैं जो रूठा करू तुम मनाया करो।


कभी नजरें भी हमसे मिलाया करो।




        अनिल कुमार मंडल

     रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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