हिंदुस्तान
मीर जाफर बहुसंख्यक हो गए, कैसे भारत देश बचाएं । लोकतंत्र ने शह दी इनको, तभी तो इनके पर निकल आएं । देर हुआ अंधेर नहीं है , आओ फिर से देश सजाएं । सुभाष बाबू के सपनोंवाला, स्वर्णिम हिंदुस्तान बनाएं । स्वर्णिम हिंदुस्तान बनाएं, जीना कुछ आसान बनाएं, सबको रोटी सबको शिक्षा , भूखा ना रहे एक भी बच्चा। अस्पताल के बाहर ना मरे, बिना वेद के कोई जच्चा । नारी कोई जल ना जाए। पैदा करके लड़की बच्चा । अपमानित ना हो कोई यशोदा, चच्चा के पाते ही सत्ता। नवविवाहित को जला न दे कोई, धन-दौलत का लोभी बच्चा। पश्चिम वाली सोच बदलकर, वैदिक हिंदुस्तान बनाएं। चलो आज सपने को सजाएं, नूतन हिंदुस्तान बनाएं। गौमाता का मान जहां हो, स्वदेशी सामान जहां हो , मैकाले की शिक्षा ना हो , गुरुकुल का सम्मान जहां हो। वृद्धाश्रम हो एक ना कोई, जीर्ण शरीर का मान जहां हो । हिंदू हो या मुसलमान हो, देशद्रोही बेजान जहां हो। पश्चिम वाला शोर नहीं हो, मीडिया फिर घूसखोर नहीं हो। साफ पानी हो शुद्ध हवा हो, शीतल पेय अपमान जहां हो। पिज्जा बर्गर त्याग दे युवा, उसको ऐसा ज्ञान ...