करवाचौथ

 कविवाणी कविता काव्यपाठ लहार, भिंड ,मध्य प्रदेश

दिनांक:-4/11/2020

दिन:-बुधवार

विषय:-करवाचौथ

मेरे चाँद तुम घर आ जाओ,

बाट जोहती हैं दुल्हन।

करके बैठी मैं श्रृंगार फिर, 

हो जाने दो मधुरमिलन।

करवाचौथ का व्रत करती मैं,

पाऊ तुझको जन्म-जन्म।

हरएक जन्म में साथ हो तेरा

फिर क्यों बनूँगी मैं जोगन।

बारह माह से इंतजार था,

आन मिलो अब मेरे सजन।

यू तो तुम अक्सर घर आते,

आज जली हैं अलग अगन।

दो दिन की तुम छुट्टी ले लो,

कर लो मेरे लिए जतन।

आज जो मेरी बात न मानी

लाओगे क्या तुम सौतन।

मेरे चाँद तुम घर आ जाओ,

बाट जोहती हैं दुल्हन।

करके बैठी मैं श्रृंगार फिर, 

हो जाने दो मधुरमिलन।


           अनिल कुमार मंडल

        रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

ये मेरी मौलिक स्वरचित व अप्रकाशितरचना हैं।

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