सावन बीता जाये

 बाली मोर उमरिया सखी रे, सावन बीता जाए।2

कोई देखें टकटकी लगा के, कोई कुछ कह जाए।

मोरा अवहु न बालम आये,2

ये तो कमाये दिल्ली, पटना, डर-डर चलु घटे न घटना,

हाथ मले पछताए, मोरा अब हु न बालम आए।

धन दौलत की कमी नही हैं, सेजिया बदन जलाये।

मोरा अब हू न बालम आए,2

बाली मोर उमरिया सखी रे, सावन बीता जाए।2

कोई देखें टकटकी लगा के, कोई कुछ कह जाए।

                                    अनिल कुमार मंडल 

                                   रेल चालक/गाजियाबाद 

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