मुझको कुछ नही आता हैं
गीत,गज़ल और दोहा क्या हैं,
मुझको कुछ नहीं आता हैं।
शब्दों को पंगत में बाँधू,2
कर्णप्रिय बन जाता हैं।
गीत,गज़ल और दोहा क्या हैं,
मुझको कुछ नहीं आता हैं।
लोग करोड़ों हिंदी वाले,2
लाखों इसके ज्ञाता हैं।
लेकिन मैं जो लिख पाता हूँ,2
और कहाँ लिख पाता हैं।
गीत, गज़ल और दोहा क्या हैं,
मुझको कुछ नही आता हैं।
प्रणाम पत्र नही मेरी कसौटी,2
ये तो मुर्ख बनाता है।
ये नही मेरे ज्ञान को तोले,2
ये तो इंग्लिश झांसा हैं।
गीत, गज़ल और दोहा क्या हैं,
मुझको कुछ नही आता हैं।
शब्दों को पंगत में बाँधू,2
कर्णप्रिय बन जाता हैं।
सुरमा अपने कर्म से देखो,2
जग में नाम कमाता हैं।
कर्णप्रिय हो जिसकी वाणी,2
हर बाधा सुलझाता हैं।
शब्दों को पंगत में बाँधू,2
कर्णप्रिय बन जाता हैं।
मानव की विलक्षण प्रतिभा,2
कागज में कहाँ समता हैं।
ये तन जिसने दिया है मुझको,2
सबसे बड़ा विधाता हैं।
गीत,गज़ल और दोहा क्या हैं,
मुझको कुछ नहीं आता हैं।
शब्दों को पंगत में बाँधू,2
कर्णप्रिय बन जाता हैं।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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