पाया तेरा प्यार सजन

 त्रिविध वायु के झोंके जैसा 

पाया तेरा प्यार सजन।

कई सावन में बदन जलाया,

पाकर के ये ठंढी पवन

चलो कही मौसम न बदले,

कर लेते हैं मधुरमिलन।

त्रिविध वायु के झोंके जैसा,

पाया तेरा प्यार सजन।

जीवन हैं सुख-दुःख का सागर,

कभी विरल तो कभी सघन।

काल के चक्र को किसने रोका,

आये गए कई रावण।

त्रिविध वायु के झोंके जैसा 

पाया तेरा प्यार सजन।

मिलने को दोनों थे आतुर,

किया था हमनें लाख जतन।

त्रिविध वायु के झोंके जैसा ,

पाया तेरा प्यार सजन।

हम तो हिम्मत हार चुके थे,

कलम ने दी आशा की किरण।

दाता का उपकार हुआ फिर, 

तब जाकर ये हुआ लगन।

त्रिविध वायु के जैसा पाया, 

मैंने तेरा प्यार सजन ।

तुमको पाकर सब सुख पाया,

बुझ गई जैसे कोई अगन।

त्रिविध वायु के झोंके जैसा 

पाया तेरा प्यार सजन।


             अनिल कुमार मंडल

          रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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