जय जवान और जय किसान

 जय जवान और जय किसान के ओ काले हत्यारे सुन ।
अपना देश गुलाम की डगरी,उसपर तेरी कर्कश धुन।
देश की जनता बेघर,भुखीचूस रहा क्यों उनका खून।
ये मानव का धर्म नहीं है ये है असुरों का सद्गुण।
ऊपर वाले से तो डर जा,मौत अटल है ध्यान से सुन।
तेरे कर्म बस अपने तेरे,धन दौलत का छोड़ जुनून।
झूठी काया,झुठी माया,झूठ के मत तुम सपने बुन।
कर्म जगत में ऐसा कर ले मौत की आहट हो रुन-झुन।
जब भी तेरा उठे जनाजा,नम आँखें गाये निर्गुण।
स्वर्ग नरक दोनों कर तेरे ,तेरी मर्जी खुद से चुन ।
जय जवान और जय किसान,के ओ काले हत्यारे सुन।
           अनिल कुमार मंडल    
       रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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