सूखी रोटी

सूखी रोटी और चीथड़ों से,लु मैं प्रीत निभाए। 

मोहे प्रीत में दोनों भाए 2  

बस बालम गले लगाए , 

मोहे प्रीत में दोनों भाये।

मोरा सुख-दुख सब बिसराये, 2 

मैं ना चाहूं महल अटारी,2

प्रीत के गीत सुनाए,

मोहे सूखी रोटी भाए। 2

कपड़ो,लत्तो कछु ना मांगू,2

चीथड़ों मोहे सुहाए ,

मैंने मन से प्रीत लगाए।2

मोहे प्रीत में दोनों भाये।2

नींद ना मांगे महल बिछोना 2 

भुइया में सुख पाए । 

मोहे प्रीत में सब कुछ भाए। 2

सूखी रोटी और चीथड़ों से लु मैं प्रीत निभाये।

मोहे प्रीत में दोनों भाये। 

बस बालम गले लगाए,

बस साजन गले लगाये।

मोरा सुख दुःख सब बिसराये,

मैं तो लुगी प्रीत निभाये।2

              अनिल कुमार मंडल

          रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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