मुक्तक
1* चालीस के पार का प्यार निष्ठावान होता है।
सच कहता हूं इसी उम्र में प्यार जवान होता हैं।
2* जिनको सुन सुनकर हुए हम जफर,
वो चल बसे अब हमें छोड़ कर,
नम आंखें मेरी तलाशे उन्हें,
जो कहते थे बेटा,जाओ अब सुधर
जो कहते थे बेटा जाओ सुधर।
3* रोष में तेरी हार हैं, खो मत देना होश।
रोष जो मानव कर गया, खो देता हैं होश।
4* खुद से तु अंजान हैं, गैरों पर हैं वार,
मौत बाँटता जीव को,कैसे हो उद्धार।
5* मेरे घर मेंआग लगी जब, तुम क्यों बैठे थे खामोश।
चिंगारी जब उड़े यहाँ से, फिर तेरे भी उड़ेंगे होश।
छोड़ दे अब ये तेरा मेरा, दोनों मिलकर करें प्रयास,
बेसक हो जाये हार हमारी, किन्तु करें नही अफसोस।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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