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Showing posts from February, 2021

दिनकर की मिट्टी से

मैं दिनकर की माटी से,कुछ खास बताने निकला हूँ। भारत था सोने की चिड़िया,लाश बताने निकला हूँ। मुगल, हुण, फ्रांसीसी आए सब लगे थे देश चुराने में , वो तभी हमें लूट पाए थे,गद्दार थे कई घराने में । अंग्रेजों ने भी खूब लूटा,मीर जाफर थे कई जमाने में । चार लाख बतिष हजार का, खून है ये दिन लाने में, सैकड़ों बरस लगा दी उसने ,सन 47 को लाने में , काले को सत्ता पाने में ,गोरों से देश छुड़ाने में । तुम कहते हो आजादी आई है,गांधी के चरखा चलाने में , इतिहास ही तुमने बदल डाली,चापलूसी के गीत सुनाने में। काले अब देश को लूट रहे,सच कहो अगर यह झूठ लगे।  यह देश फिर से सज सकता था, जो लगे पेड़ वो ठूठ लगे , ये पूर्ण स्वराज का सपना भी छल लगता आज बताने में।  गोरों ने हमको सत्ता दी ,क्यों शर्म है तुम्हें जताने में , गौरो से ज्यादा काले ने ,यह देश डुबो दी खाने में । समझौते में फिर देश फंसा,ये लगे हैं कर्ज उठाने में , आर्थिक गुलामी निकट लगे,अमेरिका के बहकाने में । बस इतनी सी बातें कह ,मंत्रास बताने निकला हूं । मैं मिट्टी की सौगंध लिए कुछ खास बताने निकला हूं । भारत था सोने की चिड़िया ,लाश बताने निकला हूँ।   ...

आश न होवे पुरा

भोले के पावन महीने में -2हमनें बांधा जुड़ा मोरा आश न होवे पुरा-2 पिछले चैत्र में लगन चढ़ आई,सावन में मोरा हुई विदाई। मेरे सारे सपने टुटे, मेरे बापु का धन ये लुटे। सावन माह में घूमे निट्ठल्ले, खा के भांग धतुरा। मोरा आश न होवे पुरा-2 कैसे मैं सखियों से बताऊ,उनकी करनी कैसे छुपाऊ। साँझ पहर जब घर को आते, दोनों हाथ में पौवा लाते। खा पीकर खर्राटे भरते, कुछ तो रहे अधुरा। मोरा आश न होवे पुरा-2 भोले के पावन महीने में -2हमनें बांधा जुड़ा मोरा आश न होवे पुरा-2                 अनिल कुमार मंडल             रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

बाबा वैलेंटाइन

वेलेंटाइन बाबा ने देखो, हिन्द से ऐसा ज्ञान लिया। शादी एक पवित्र हैं बंधन, पश्चिम को भगवान दिया। कुछ गोरों ने शादी भी की, रिश्तों को सम्मान दिया। कलाडियस को ये नही जमा था,जिसने ऐसा ठान लिया। ऐसा रिश्ता ठीक नहीं, उसने बाबा की जान लिया। बाबा ने जिनका व्याह रचाया,उसने बाबा को मान दिया। मरण दिवस था बाबा का, वैलेंटाइन डे का नाम दिया। वो तो पश्चिम वाले थे, जिनको हमनें भगवान दिया। पर भारत के भ्रामित युवा ने, पश्चिम को सम्मान दिया। लीव इन रिलेशन वैध हुआ,कानुन ने भी उत्थान दिया। सत्य से मीलों दुर रहा और, पश्चिम को जयगान दिया खान, पान, कपड़े अंग्रेजी, भारत का न ध्यान दिया। विजय हुई अंग्रेजी शिक्षा, गुरुकुल को न मान दिया। मैकॉले की विजय हो रही, भारत की पहचान गया। मन में गुलामी बैठ गई, जो गया वो स सम्मान गया। वैलेंटाइन डे को बाग में देखो, भारत,हिंदुस्तान गया।                 अनिल कुमार मंडल              रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

वक़्त बड़ा सौदागर

 वक्त बड़ा सौदागर जग में,ठगा गया इंसान। बचपन देखो उड़ा के ले गया,बन गया मैं बलवान । ना दुनिया का गम था कोई ,ना रिश्तो का ज्ञान । बेशुमार गम दुनिया में,रिश्तो में अटकी जान। वक्त बड़ा सौदागर जग में,ठगा गया इंसान । देख जवानी की रंगरलियां धन का मैं सम्मान, अटल सत्य को भूल चुका था मैं मूरख नादान  वक्त बरा सौदागर जग में ठगा गया इंसान  बचपन देखो उड़ा के ले गया बना गया बलवान गई जवानी देख बुढ़ापा पछताए इंसान  अंतक अब आने को द्वारे ,याद करे भगवान काल से देखो सभी है हारे क्या सद्गुण शैतान वक्त बड़ा सौदागर जग में ठगा गया इंसान  बचपन देखो उड़ा के ले गया,बना गया बलवान       अनिल कुमार मंडल       रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद