वक़्त बड़ा सौदागर
वक्त बड़ा सौदागर जग में,ठगा गया इंसान।
बचपन देखो उड़ा के ले गया,बन गया मैं बलवान ।
ना दुनिया का गम था कोई ,ना रिश्तो का ज्ञान ।
बेशुमार गम दुनिया में,रिश्तो में अटकी जान।
वक्त बड़ा सौदागर जग में,ठगा गया इंसान ।
देख जवानी की रंगरलियां धन का मैं सम्मान,
अटल सत्य को भूल चुका था मैं मूरख नादान
वक्त बरा सौदागर जग में ठगा गया इंसान
बचपन देखो उड़ा के ले गया बना गया बलवान
गई जवानी देख बुढ़ापा पछताए इंसान
अंतक अब आने को द्वारे ,याद करे भगवान
काल से देखो सभी है हारे क्या सद्गुण शैतान
वक्त बड़ा सौदागर जग में ठगा गया इंसान
बचपन देखो उड़ा के ले गया,बना गया बलवान
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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