आश न होवे पुरा

भोले के पावन महीने में -2हमनें बांधा जुड़ा
मोरा आश न होवे पुरा-2
पिछले चैत्र में लगन चढ़ आई,सावन में मोरा हुई विदाई।
मेरे सारे सपने टुटे, मेरे बापु का धन ये लुटे।
सावन माह में घूमे निट्ठल्ले, खा के भांग धतुरा।
मोरा आश न होवे पुरा-2
कैसे मैं सखियों से बताऊ,उनकी करनी कैसे छुपाऊ।
साँझ पहर जब घर को आते, दोनों हाथ में पौवा लाते।
खा पीकर खर्राटे भरते, कुछ तो रहे अधुरा।
मोरा आश न होवे पुरा-2
भोले के पावन महीने में -2हमनें बांधा जुड़ा
मोरा आश न होवे पुरा-2
                अनिल कुमार मंडल
            रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद




Comments

Popular posts from this blog

Best hindi poem -मजदूर

पुस में नूतन बर्ष

देख तेरे संसार की हालत