संयुक्त परिवार
तीन चक्र में घिरा था अपना,भारत का संयुक्त परिवार।
कितना मोहक कितना सुंदर,बसा था सबका घर परिवार।
प्रथम चक्र में गैया मैया, करती रोगाणु पर वार।
दूजा चक्र में तुलसी मैया,वायु रोग में करें प्रहार।
तीसरा चक्कर था अपना रसोई,जिस से बहती रस की धार।
इतने से सबको मिलता था,स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचार।
छोटी-छोटी तकरारे थी, आपस में था अद्भुत प्यार।
कितना मोहक कितना सुंदर,बसा था सबका घर परिवार।
सह निवास,सह रसोई थी तब,सबका होता था सत्कार।
बूढ़ों को सम्मान था मिलता,होती थी उनकी जय कार।
जब से तीनों चक्र टूटे हैं,बदल गया सब का परिवार।
तभी से पश्चिम के चक्कर में,फँस गया भारत का परिवार।
उसी समय से चलन बढ़ा दी,छोटा हो सुखी परिवार।
दादा-दादी,काका-काकी,छूट गया अपनों का प्यार।
जिनकी कहानी से मिलता था,बचपन से सबको सुविचार।
जब से यह परिवार टूटा है,बढ़ गया देखो अत्याचार।
कितना मोहक कितना सुंदर,बसा था सबका घर परिवार।
तीन चक्र में घिरा था अपना,भारत का संयुक्त परिवार।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
9717632316
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