झरने की तरह

जीवन को जियो झरने की तरह,विघ्नों से लड़ लड़ने की तरह।
हैं कौन विघ्न जो रोकेगा,तू जीतेगा जग chokegaa
चलना बस तेरा काम रहे,कही एक पल न आराम रहे 
तेरे कर में होगा,धन धान्य तेरे घर में होगा
विपदायें चरण पखारेगा,ईश्वर तुझे राह दिखयेगा।
जिद ठान तुझे बस चलना हैं,विघ्नों में तुझे उबलना हैं।
इतिहास तुझे जो रचना हैं,मरकर जो जिन्दा बचना है।
झरनों की तरह मचलता चल,जो राह में आएगी बाधा,
तु ज़िद कर हो जाये आधा।तु रुकना नही वहाँ डरकर,
एक नए जोश से छेड़ समर,विघ्नों को ले जा बनके भवंर।
छोटा हो या हो बड़ा भूधर,तु जग जीते हो वीर कुंवर।
विपदा में जिसने काम किया जग में उसने ही नाम किया।
इस नश्वर तन को छोड़ यहाँ,सब लोक ही अपने नाम किया।
फिर इसीलिए मैं कहता हूँ,जीवन को जियो झरने की तरह,
विघ्नों से लड़ लड़ने की तरह।जीवन को जियो झरने की तरहl
               अनिल कुमार मंडल
            रेल चालक, ग़ाज़ियाबाद

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