अफ़साना हिंदुस्तान की
झूठी कसमें, झूठे वादे, झूठी पाते शान की,
बैतरणी जो पार करेगा,मान हो उस इंसान की।
कुछ लोगो को कहा फ़िक्र हैं,भारत के अपमान की।
अफसाना जो लिख रहे देखों,बेच के हिंदुस्तान की।
वो कहते मुझे देशद्रोही,हमनें जो प्रश्न उठाये हैं।
खुद वो चिंता नहीं हैं करते,भूखे हिंदुस्तान की।
हम भी जो ख़ामोश रह गये, हमको दुनिया कोसेगी।
हमनें गुलामी लाकर दी हैं, स्वर्णिम हिंदुस्तान की।
वो तो ठहरे झूठे,फरेबी, अपना कोई फर्ज तो था।
जिस मिट्टी से तन को सींचा,उनका मुझपे कर्ज़ तो था।
पर मेंरी चुप्पी के कारण,जीत हुई शैतान की।
आने वाली नश्ले कहे हमें,कायर हिंदुस्तान की।
आओ मिलकर करें क्रांति,जय हो हिंदुस्तान की।
अफ़साना वो लिख नहीं पाए,बेच के हिंदुस्तान की।2
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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