जम्हूरियत

जम्हूरियत में इतना तो जरूर हो गया।
पाते ही सत्ता सब यहाँ मगरूर हो गया।
पीपल था एक जिनसे सबकी आश बंधी थी,
सत्ता मिली पीपल वही ख़जूर हो गया।
मतदान किया था शहर ने अपना समझ के,
इंसान वो शहर से बहुत दूर हो गया।
गिरगिट भी इतनी जल्दी कहा रंग बदलता,
जम्हूरियत में किस्सा ये मशहूर हो गया।
किस-किस से गुफ्तगू करू सब ने यही कहा,
वोट दे के मुझसे कुछ कसूर हो गया।
भूखी रही जनता मगर विकास हो गया,
लोकतंत्र में बदलाव ये हुजूर हो गया।
हम आम लोग हैं सभी सत्ता के सताये।
पाते ही सत्ता जो यहाँ मगरूर हो गया।2
           अनिल कुमार मंडल        
       रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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