जज्बा हमारे दिल में हैं
पाएंगे बैकुंठ को, जज्बा हमारे दिल में हैं।
खून से खेलेंगे होली, अगर वतन मुश्किल में हैं।
मुगलों को रोक था हमनें, जोर पे तलवार से,
और गोरों को भगा दी, नैन के अंगार से।
काले ने मंसूबे साधे, देश को नीलाम की,
होशले जो बढ़ गए इस मुल्क के बईमान की।
माँ भारती के पुत्र हम,समझाएंगे तकरार से।
जो न माने सर कलम कर जाएंगे कटार से।
फिर ये देखेंगे लहू क्या, गद्दारे कातिल में है।
खून से खेलेंगे होली, अगर वतन मुश्किल में हैं।
मौत सब को एक दिन लेगी यहाँ आगोश में,
हम भी गाये गीत अपने मौत की परितोष में।
मौत को कर ले विजय अरमा हमारे दिल में है
खून से खेलेंगे होली, अगर वतन मुश्किल में हैं।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ ग़ाज़ियाबाद
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