जिंदगी क्या?
जिंदगी क्या ?तेरी मेरी गजल ।कभी सरल तो कभी गरल ।
जब गम का ये सागर लाए, सुख की घड़ियां,जाती बदल।
जिंदगी क्या?तेरी मेरी गजल।सुखमय जीवन क्षण में बीते,
दुख की घड़ी हो लंबी गजल। जिंदगी क्या ?तेरी मेरी गजल,
कभी सरल तो कभी गरल। कभी आंखो में आंसू भरते,
कभी लाते ये खुशी के पल। एक भाव से गाने वाले,
हो जाते हैं यहां सफल।जिंदगी क्या? तेरी मेरी ग़ज़ल,
कभी सरल तो कभी गरल।हम जो इसको सीख ले गाना,
सुख में गुजरे सारे पल, जिंदगी क्या?तेरी मेरी गजल,
कभी सरल तो कभी गरल।सच मानो या मिथ्या साथी,
कहता हूँ मैं बात अटल।जिंदगी क्या ?तेरी मेरी ग़ज़ल
कभी सरल तो कभी गरल।
अनिल कुमार मंडल
गव्यसिद्ध, रेल चालक, कवि
9717632316
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