सच्चा नेता

सच्चा नेता रहा न कोई, सब के मन में त्रास हैं।
तथाकथित नेता भी बदले,जनता यहाँ उदास हैं।
एक दिन नेता से कह दी,देश धरम की सोचो तुम,
नेता जी फटकार के बोले,करते क्या बकवास हैं।
हमनें कैसे कुर्सी पाई,जरा नहीं एहसास  हैं।
हाथ भी जोड़े,विनती भी की,पाया ये मधुमास हैं।
उचित वक्त तो अब आया हैं,जनता को बहकाने की,
हमनें जितने किये थे वादे,जुमला कह जुठलाने की।
देश धरम की बात न करना, हम मानव कुछ खास हैं।
संविधान का चीरहरण कर,करते हम अट्टहास हैं।
हमनें देश की डूबो दी लुटिया,फिर भी हमसे आश हैं।
जनता भी मुझसे हैं राजी, वो भी जिंदा लाश हैं।     
जो जन बदले हम भी बदले, हमको भी विश्वास हैं।

                                  अनिल कुमार मंडल
                            लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद


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