मेरे सांसो की डोरी
मेरे सांसों की डोरी पर
उसने भांजी है तलवार।
बिलगेट्स या रॉथचाइल्ड हो,
कोरोना उसका हथियार।
डर का एक माहौल बनाकर,
करना चाहे वो तो व्यापार।
मानवता का मोल न जाने,
चाहे कितनो हो संहार।
मंत्री,संत्री,जनता, वंता,
वक़्त के हाथों हैं लाचार।
वैश्विक क्रांति करनी होगी,
फिर पाये मुक्ति का द्वार।
मंत्री जी कर रहे गुलामी,
बढ़ रहा उनका अत्याचार।
हम तो गुलामों के गुलाम हैं,
करना होगा ये स्वीकार।
तभी तो ढूंढें राहे आजादी,
वैश्विक ताकत की हो हार।
मेरे सांसो की डोरी पर,
जिसने भांजी हैं तलवार।
अनिल कुमार मंडल
लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद
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