चांद की ओर

चलो चाँद की ओर सनम,पलकों पर तुझे बिठायेंगे।
पग में जो कांटा चुभ जाए,राह में नैन बिछायेंगे।
दर्द तुझे छूने न पाये,बढ़कर गले लगायेंग।
चलो चाँद की ओर सनम,पलकों पर तुझे बिठाएंगे
तेरे नाम का बना घरौंदा,ढाई अक्षर गा लेंगे।
एक दूजे में खोये ऐसे,सारे जहाँ को भुला देंगे।
चलो चाँद की ओर सनमपलकों पे तुझे बिठायेंगे।
फूलों की हो सेज जहाँ,कांटो को चलो दगा देंगे।
हम-तुम दोनों तन्हाई ,आगे कोई मिले भगा देंगे
चलो चांद की ओर सनम,पलकों पर तुझे बिठायेंगे।
    
                अनिल कुमार मंडल
              रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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