राजनीति में मचा बबंडर

 राजनीति में मचा बबंडर,कोई देश संभालो जी,
रावण देखो राम पे भारी,विश्वामित्र बुला लो जी।
राजनीति अब बना खिलौना,धनवानों,बईमानों का।
कोई नेक,शरीफ सा बन्दा,इसको गले लगा लो जी।
जाति,धर्म की राजनीति से,जनता यहाँ बेज़ार हैं।
एक कोई आदिल आकर के,मुखड़ा सभी खिला दो जी।
झूठ,फरेब और भ्रष्टाचार का,चारों ओर नज़ारा हैं।
ज्ञान का दीप जलाकर कोई,हिन्द की शान बचा लो जी।
द्वापद के गोविंद थे रक्षक, सतयुग के थे राम जी।
कलयुग में कोई तो आकर, के कर जाए संग्राम जी।
युवा देश का मूर्छित हो गया,संजीवनी पीला दो जी।
देश,धर्म से विमुख हुए जो,उनको भी समझा दो जी
भारत को भारत रहने दो, इंडिया चलो हटा दो जी।
एक मेरी सब से हैं विनती, गुरुकुल शिक्षा ला दो जी।
राजनीति में मचा बबंडर,कोई देश संभालो जी।
रावण देखो राम पे भारी,विश्वामित्र बुला लो जी।

                           अनिल कुमार मंडल 
                    

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