मुलाकात

महीनों भर हम सहे जुदाई, कर ले अब मुलाकात प्रिये।
आओ बैठो पास हमारे, कर ले प्रीत की बात प्रिये
मेरे मन की दुविधाओं को, पढ़ने का कयास करो,
वक्त की लगी हैं भागा दौड़ी, दिन में कर ले रात प्रिये।
अपनी गुप्त व्याथो का, कहो मैं कैसे इज़हार करू,
बिगड़े तन,मन पे तुम देखो, बिगड़ रहे हालात प्रिये
मैं सरकारी नौकर हूँ, इस बात की तुमको खबर तो हैं,
ना दिन अपनी,ना ही अपनी चाँदनी वाली रात प्रिये।
शर्मो, हया के चक्कर में, कितने ही सावन लाँघ गए,
बची उम्र में पढ़ा करो,तुम बस मेरे भी जज्बात प्रिये।
जिस्म जान से आन मिलो,फिर ठंडे हो हालात प्रिये।
प्रेम ना माने, गोरा, काला, ना ही धरम न जात प्रिये,
हम तुम दोनों आज करेंगे, नूतन एक शुरुआत प्रिये।
आओ कर ले याद प्रभु को, दी जिसने सौगात प्रिये।

                अनिल कुमार मंडल
        लोको पायलट/ग़ाज़ियाबाद



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