Posts

Showing posts from May, 2021

खबर देके मुझको बुलाती

खबर देके मुझको बुलाती रही, थपकियां देके मुझको सुलाती रही। साथ सोने को जब भी मैं कहता उसे, अदाओं से मुझको रिझाती रही। जो मैं सो गया तो मुझे छोड़कर, क्यों गैरों से मिलने को जाती रही। मेरा दिल हैं कोई खिलौना नहीं, जिसे तोड़ अक्सर बनाती रही। खफा मैं हुआ तो कसम देती थी, भरोसा दिलाकर रुलाती रही। मैं तो वफा करके तनहा रहा, वो मुझको ही जालिम बताती रही।                                         अनिल कुमार मंडल                   रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

रोटी, कपड़ा और मकान

 दौलत की लिप्सा में उलझा,नये दौर का हर इंसान। जीने को बस चाही जग में, रोटी कपड़ा और मकान। पंचभूत जो जीवन दाता,इनका भी कर के सम्मान। दौलत के लिए मेहनत करते,आता नहीं जो वक़्त पे काम। दौलत की लिप्सा में उलझा,नये दौर का हर इंसान। जीने को बस चाही जग में रोटी,कपड़ा और मकान। एक नही जो मरता जग में,कर्म से पाया जो सम्मान। फिर भी मानव अकड़ रहा हैं, भर के देखो कई गोदाम। दौलत की लिप्सा में उलझा,नये दौर का हर इंसान। अंत समय जब आता उनका,याद करें सारे भगवान। भूल चुका हैं मानव कब से,वो खुद हैं ईश्वर संतान। जीने का उद्देश्य न जाने, इस तन का क्या करें नादान। दौलत की लिप्सा में उलझा,नये दौर का हर इंसान।                                     अनिल कुमार मंडल                                   रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

मैं हूँ तेरा भौंरा

मैं हूँ तेरा भौंरा और तू हैं मेरी फूल, देखो मृगनयनी मुझे जाना नही भूल।2 संग जीने मरने की कसम तुझे, तेरे सिवा कुछ नही सूझे हैं मुझे। लगन से पहले खिलाये जो भी गुल, भूल कर उसे मुझे तू कर ले क़बूल। मैं हूँ तेरा भौंरा और तू हैं मेरी फूल, देखो मृगनयनी मुझे जाना नही भूल। आओ मेरे पास करें प्रणय कलह, हो गई नाराज उसे कर ले सुलह। प्रीत हैं फ़िज़ाओं में गवाओ न फिजूल, कहीं ये जवानी नही बनके उड़े धुल। मैं हूँ तेरा भौंरा और तू हैं मेरी फूल, देखो मृगनयनी मुझे जाना नही भूल। यही तो उमर हैं भूलें सभी गम, आएगी बुढ़ापा कुछ बच्चे देंगे गम। अभी से क्यों सर में लगाये बनफूल, कहे कोई चिंता रखें कहे कोई शूल, जिंदा दिल रहने का यही है वसूल। मैं हूँ तेरा भौंरा और तू हैं मेरी फूल, देखो मृगनयनी मुझे जाना नही भूल।2                        अनिल कुमार मंडल                रेल चालक/ ग़ाज़ियाबाद

लोग भूल जाएंगे

एक हादसा समझ के लोग भूल जाएंगे जठर की आग में सभी बसूल जाएंगे। अब कौन पूछेगा की कल हुआ था यहाँ क्या, जो सवाल करेगा चुभोये शूल जाएंगे। बस आम आदमी ही परेशान हैं यहाँ, जो खास है उनके गुनाह धूल जाएंगे। ना खुदा का खौफ हैं,ना ही इंसानियत बची, बचाव में उनके सभी रसूल जाएंगे। हर साम,दाम से यहाँ कातिल ही बचेंगे, कट जाएंगे पीपल रखें बबूल जाएंगे। एक हादसा समझ के लोग भूल जाएंगे। जठर की आग में सभी बसूल जाएंगे।                    अनिल कुमार मंडल                 रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद जुर्म यहाँ पर बुरा नहीं खामोशी मौत का कारण हैं। भारत के बच्चे-बच्चे ने कर लिया इसको धारण हैं। सबको हैं उम्मीद यहाँ पर कोई उसे बचायेगा, कल तक जो थे जीवन दाता मौत उसी के कारण हैं।                                  अनिल कुमार मंडल                              रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद राजनीति...

रो रहा हिंदुस्तान हैं।

 सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं। पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं। ये कुदरत का कहर हैं या फिर सोच कोई नादान हैं। कुछ भी हो पर आज यहाँ पर डरा हुआ इंसान हैं। सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं। पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं। रोटी में निर्धन उलझा हैं,धनवाला भी लूटा पड़ा हैं, बूढ़े बच्चे घर में दुबके, उपवन सभी वीरान हैं। सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं। पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं। टी बी जो घर-घर हैं आया,न देखे जो हमें दिखाया, सच पूछो तो आज यहाँ पर सबसे बड़ा शैतान हैं। सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं। पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं।                         अनिल कुमार मंडल                      रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

छाया तिमिर घनघोर

छाया तिमिर घनघोर अब शम्मा जलाना चाहिए। कोरोना के भय को अब,हीय में न लाना चाहिए। मौत सबको आएगी,फिर जीना क्यों हम छोड़ दे, इंडिया को अब छोड़कर,भारत में आना चाहिए। भूखे को रोटी मिले, युवाओं को रोजगार भी, पुरी व्यवस्था बदलेंगे, बल जोर आना चाहिए। कोरोना के भय को अब,हीय में न लाना चाहिए। हैं बधिर कुछ लोग तो उनको जगाना हैं हमें, बांसुरी, रणभेरिया दोनों सुनाना हैं हमें। मूक भी चिल्ला उठे वो शोर आना चाहिए। कोरोना के भय को अब,हीय में न लाना चाहिए। ये देश तो हारा हमेशा अपने ही गद्दार से, साख थोड़ी थी बची लुटा वो सत्ता द्वारा से पहले ऐसे लोगों को बाहर को लाना  चाहिए। छाया तिमिर घनघोर अब शम्मा जलाना चाहिए। जंग हो बीमारी से या सामने दुश्मन खड़ा, या कोई वैरी हो पीछे हाथ में खंजर पड़ा। जीत अपनी होगी बस धीरज न खोना चाहिए। कोरोना के भय को अब,हीय में न लाना चाहिए। छाया तिमिर घनघोर अब शम्मा जलाना चाहिए।                          अनिल कुमार मंडल                     रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

संभलो हिन्द के बासी

 हर एक चौक चौराहे पर,  ऑक्सीजन बिकने वाला हैं। संभलो हिन्द के बासी संभलो,  सब कुछ गड़बड़ झाला हैं। विश्व के सत्ता धारी ने, भारत में नेता पाला हैं। कोई पार्टी हो सत्ता में, कुछ नहीं करने वाला हैं। संभलो हिन्द के बासी संभलो,  सब कुछ गड़बड़ झाला हैं। कोरोना के नाम पे देखों, देश ये लूटने वाला हैं। जो इस साजिश को समझेगा, बस वहीं बचने वाला हैं। हर एक चौक, चौराहे पर, ऑक्सीजन बिकने वाला है। संभलो हिन्द के बासी संभलो,  सब कुछ गड़बड़ झाला हैं। गलत टेस्ट हैं,झूठा वैक्सीन, मौत ये देने वाला हैं। चेहरे पे पर्दे लगवाकर, रोग ये देने वाला हैं। संभलो हिन्द के बासी संभलो,  सब कुछ गड़बड़ झाला हैं। लोगों अब सड़कों पे आओ, फिर कुछ होने वाला हैं। मीडिया भी सब बिके हुए हैं, सब के मुख पर ताला हैं। संभलो हिन्द के बासी संभलो, सब कुछ गड़बड़ झाला हैं। हर एक चौक चौराहे पर, ऑक्सीजन बिकने वाला हैं।         अनिल कुमार मंडल       रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद