रो रहा हिंदुस्तान हैं।

 सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं।
पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं।

ये कुदरत का कहर हैं या फिर सोच कोई नादान हैं।
कुछ भी हो पर आज यहाँ पर डरा हुआ इंसान हैं।

सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं।
पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं।

रोटी में निर्धन उलझा हैं,धनवाला भी लूटा पड़ा हैं,
बूढ़े बच्चे घर में दुबके, उपवन सभी वीरान हैं।

सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं।
पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं।

टी बी जो घर-घर हैं आया,न देखे जो हमें दिखाया,
सच पूछो तो आज यहाँ पर सबसे बड़ा शैतान हैं।

सूनी गालियां,सूनी सड़के सूना पड़ा जहान हैं।
पिछले बरस से देख रहा हूँ, रो रहा हिंदुस्तान हैं।

                        अनिल कुमार मंडल
                     रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद



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