नक़्शे कदम

जहाँ तेरे नक़्शे कदम देखते हैं,

उसी ठौर तुमको सनम देखते हैं।

खफा तुमसे हैं,पर जुदा तो नहीं हैं।

न कहना तू मुझको की कम देखते हैं।

सितारों की बस्ती से दिल में समाई,

एहसान तेरा सनम देखते हैं।

मेरी हर तमन्ना को पुरा किया हैं,

इसमें भी तेरा रहम देखते हैं।

तुम्हीं ने दिया गम, तुम्हीं ने ख़ुशी दी,

मोहब्बत भरा हर सितम देखते हैं।

जो सातों जन्म का ये बंधन हो अपना,

कयामत के दिन को भी कम देखते हैं।

रुसवा न करना,मेरी जान मुझको, 

तेरे दिल में सौ-सौ भ्रम देखते हैं।

जहाँ तेरे नक़्शे कदम देखते हैं।

उसी ठौर तुमको सनम देखते हैं।


                   अनिल कुमार मंडल

                रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

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