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Showing posts from July, 2021

चलो रे दिल्ली

माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। सो रहे देखो देश की जनता,उनको चलो जगाए। तथाकथित आजादी जी रहे,2पूर्ण स्वराज को लाए। संविधान में परिवर्तन कर,नूतन राष्ट्र बनाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। भटके जो युवान देश के,2 उनको राह दिखाए। गांधी,नेहरू के पथ चलकर,हमनें बहुत गवाए। एक बार बाबू सुभाष के,2 पथ को गले लगाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। जीवन आनी जानी छाया,फिर काहे भय खाए। भगत बने या वीर कुंवर सिंह,2 दोनों में सुख पाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। दिल्ली माने या न माने,2 अपना फर्ज निभाए। तन,मन,धन, जीवन अर्पित कर,नूतन राष्ट्र बनाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए।             अनिल कुमार मंडल         रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

एक दिन बाबा वीर भगत

एक दिन बाबा वीर भगत, सपनों में मेरे आये थे हिंद की व्यथा बताया और सोते से हमें जगाये थे इस मिट्टी का कर्ज हैं मुझपे ये समझाने आये थे ये मुश्किल मानव तन का उद्देश बताने आये थे लघु जीवन में पा जाए सम्मान सिखाने आये थे एक दिन बाबा वीर भगत, सपनों में मेरे आये थे कुछ भारत के लोग यहाँ,गोरों से ज्यादा काले थे तन था देशी पर नियत से ये तो गंदे नाले थे कुछ ऐसे भी हुए सपूत जो भारत के मतवाले थे दोनों की कथा सुना के वो स्वराज सिखाने आये थे एक दिन बाबा वीर भगत, सपनों में मेरे आये थे गद्दारों को नहीं बकसना ये भी कहने आये थे अंग्रेजी में उलझा भारत मात बचाने आये थे स्वदेशी का मंत्र दिया हमको समझाने आये थे एक दिन बाबा वीर भगत, सपनों में मेरे आये थे हिंद की व्यथा बताया और सोते से हमें जगाये थे                     अनिल कुमार मंडल                  रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद

वीर पुत्र बलिदानी

 1*) चिंतन कर ले देश धर्म की,बहे आंखों से पानी। पानी आँख का रूक न जाये,गढ़ दो नई कहानी। हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी। देश फंसा वैश्विक बंधन में,हो गई कुछ नादानी। धर्म की बातें युवाओं को, लगने लगी पुरानी। हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी। शास्त्र पढ़ाओ देश बचे,शस्त्रों की बोलो वाणी। देश धर्म दोनों की जय हो,होगी अमर कहानी। हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी।                        *********** 2*)वो जुवां कहाँ सच बोलेगी, ईमान बेच जो लुच्चे हैं। सच को सच कहने वाला जिगर,इस शहर में ईके-दुक्के हैं। दासी है ये नेताओं की, सेठों के खनकते सिक्कें हैं। खबरों को ऐसे ढालते हैं, की खुदा भी हक्के-बक्के हैं।                      ************* 3*)जाती,मजहब लड़ते देश में,मामला रहता गर्म। अंतक के आने से पहले,कर लो एक सत्कर्म। शास्त्र उठाओ राष्ट्र बचेगा, शस्त्र संभलो धर्म। बच्चे जाने राष्ट्रधर्म को, दे देना ये मर्म। हम जो अपना कर्म करें, वो करेंगे अपना कर्म। कु...