चलो रे दिल्ली
माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। सो रहे देखो देश की जनता,उनको चलो जगाए। तथाकथित आजादी जी रहे,2पूर्ण स्वराज को लाए। संविधान में परिवर्तन कर,नूतन राष्ट्र बनाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। भटके जो युवान देश के,2 उनको राह दिखाए। गांधी,नेहरू के पथ चलकर,हमनें बहुत गवाए। एक बार बाबू सुभाष के,2 पथ को गले लगाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। जीवन आनी जानी छाया,फिर काहे भय खाए। भगत बने या वीर कुंवर सिंह,2 दोनों में सुख पाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। दिल्ली माने या न माने,2 अपना फर्ज निभाए। तन,मन,धन, जीवन अर्पित कर,नूतन राष्ट्र बनाए। माहे सावन चलो रे दिल्ली,नेक कर्म कर जाए। अनिल कुमार मंडल रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद