वीर पुत्र बलिदानी

 1*) चिंतन कर ले देश धर्म की,बहे आंखों से पानी।

पानी आँख का रूक न जाये,गढ़ दो नई कहानी।

हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी।

देश फंसा वैश्विक बंधन में,हो गई कुछ नादानी।

धर्म की बातें युवाओं को, लगने लगी पुरानी।

हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी।

शास्त्र पढ़ाओ देश बचे,शस्त्रों की बोलो वाणी।

देश धर्म दोनों की जय हो,होगी अमर कहानी।

हे! वीर पुत्र बलिदानी,जागो भारत स्वाभिमानी।

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2*)वो जुवां कहाँ सच बोलेगी, ईमान बेच जो लुच्चे हैं।

सच को सच कहने वाला जिगर,इस शहर में ईके-दुक्के हैं।

दासी है ये नेताओं की, सेठों के खनकते सिक्कें हैं।

खबरों को ऐसे ढालते हैं, की खुदा भी हक्के-बक्के हैं।

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3*)जाती,मजहब लड़ते देश में,मामला रहता गर्म।

अंतक के आने से पहले,कर लो एक सत्कर्म।

शास्त्र उठाओ राष्ट्र बचेगा, शस्त्र संभलो धर्म।

बच्चे जाने राष्ट्रधर्म को, दे देना ये मर्म।

हम जो अपना कर्म करें, वो करेंगे अपना कर्म।

कुछ गद्दार जो देश का खाते, होते हैं बेशर्म।

देश,धर्म को ये न जाने,करते हैं दुष्कर्म।

वो न समझे प्रीत की वाणी,कैसे होवे नर्म।

शास्त्र उठाओ राष्ट्र बचेगा,शस्त्र संभलो धर्म।

बच्चे जाने राष्ट्रधर्म को, दे देना ये मर्म।

                         अनिल कुमार मंडल

                      रेल चालक /ग़ाज़ियाबाद




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