हमारी कलम

जिस दिन हमारी कलम एक अंगार लेकर आयेगी

उस दिन समझना देश मैं एक ज्वार लेकर आयेगी

कलम ढोती हैं समर और शांति मय संसार भी

रनभेरियो का रूद्र इसमें बाँसुरी का प्यार भी

कलम जब अंगार लिखती भेद देते मन को हैं

शब्द मे वो प्यार हैं जो त्याग दे जीवन को हैं

हृदय सब का बदलेगा और सब रहे खुशहाली से

कलंक से भयभीत होकर सब डरें महाकाली से

चंद्रगुप्त, राणा के वंशज में जगे स्वाभिमान भी

और कुछ बढ़कर संभाले क्रांति का कमान भी

हर युवा इस देश का बजरंगी ये तो जानेगा

गुप्त हैं जो शक्ति इनमें खुद को ये पहचानेगा

मैं बनु जावन्त आकर शक्ति का उन्हें बोध दु

या बनु मैं सिंधु आकर धर्य का रुख मोड़ दु

स्वर्णिम बनेगा देश ये खुद पर मुझे विश्वास है

हम कलम के वीर हैं लोगों की जगती आश हैं

हम कलम के जरिये पथ साकार लेकर आयेंगे

किससे कैसे लड़ना हर हथियार लेकर आयेंगे

जानता हूँ राहे मुश्किल लेकिन मे न हारूँगा

देश के मीरजाफरो को पहले सबसे मारूँगा

हर आदमी खुशहाल हो बाजार लेकर आयेंगे

  स्वदेशी और देश मै सहकार लेकर आयेंगे

अंग्रेजियत का नाश कर,भारत पुनःबनबायेगे

   मैं रहु या ना रहु कुछ नेक करते जायेंग

 हैं कठिन ये कार्य जो लिखे कलम से आग को

  इस चमन मै फुल भर दे या जला दे बाग को

   समर हो या शांति दोनों को ये है पालती

शब्द जो लिखे कलम झंकार लहू मे डालती

  आओ लिख दे हम कहानी कलम के अंगार की

या की लिखे दे एक कहानी अमन मय संसार की २

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