झूठा क्यो इतिहास पढ़ाया
झूठा क्यो इतिहास पढ़ाया,
धर्म के नाम पे हमें लड़ाया।
देखो हम सच जान चुके हैं,
तुमको हम पहचान चुके हैं।
भाषा बदली,बोली बदली,
गॉव की चनिया,चोली बदली।
दाल रोटी जब, खाते थे हम,
सबको गले लगाते थे हम।
ऐसा भारत देश था अपना,
अब जो मेरा बना हैं सपना।
वही व्यवस्था गुरुकुल वाली,
फिर से मुझको लानी हैं।
वीर शहीदों के सपनों को,
सच करने की ठानी हैं।
संविधान में हो संसोधन,
अब तक जो बईमानी हैं।
हम बच्चे थे,हम भोले थे,
अब तक हमनें मानी हैं।
चिरंतन इतिहास को जाना,
फिर हमनें ज़िद ठानी हैं।
अंग्रेजी षड्यंत्र रचा कर,
की गई कुछ शैतानी हैं।
सत्ता मोह लंगोट के कच्चे,
नर की भी नादानी हैं।
अब जाकर ये जाना हमनें,
की गई कुछ मनमानी हैं।
युगों-युगों तक गाये दुनिया,
जिसकी अमर कहानी हो।
उस भारत का सृजन करें,
दुनिया जिसकी दीवानी हो।
बच्चा-बच्चा चन्द्रगुप्त
गुरू में कौटिल्य की वाणी हो।
बहने होवे झांसी रानी,
जिनकी अमर कहानी हो।
मौत हथेली रखने वाला,
हर युवा बलिदानी हो।
अनिल कुमार मंडल
रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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