देश ये बिकने वाला हैं
शुरू करे एक समर देश में,देश ये बिकने वाला हैं।
जहाँ देखिये वही शहर में,हो रहा जलियावाला हैं।
युवाओं पर लाठी चलती,देश का जो रखवाला हैं।
बच्चों को शिक्षा नहीं मिलती,विद्यालय पर ताला हैं।
सड़क पे हलधर रौंदे जाते, रोटी जो लाने वाला हैं।
शुरु करें एक समर देश में,देश ये बिकने वाला हैं।
महिलाएं भी नहीं सुरक्षित,मुंसिफ का मन काला हैं।
बचा खुछा शकुनि का पाशा,नाश कराने वाला हैं।
हरेक हाथ में दे दिया पाशा,डाटा जियो वाला हैं।
फिर ऐसे मैं युवा दुर्योधन,जैसा ही मतवाला हैं।
शुरु करे एक समर देश में,देश ये बिकने वाला हैं।
गाड़ी अपनी लंदन वाली,जिसमें ईंधन काला हैं।
हमको गुलामी में ये रखे,न्याय न मिलने वाला हैं।
चाहे कितनों चालक बदलो,देश न बढ़ने वाला हैं।
संपूर्ण व्यवस्था हो परिवर्तन,फिर कुछ होने वाला हैं।
शुरु करे एक समर देश में,देश ये बिकने वाला हैं।
मोदी,योगी सभी विवश हैं,विश्व व्यापी घोटाला हैं।
कुछ शर्तो पर मिली आजादी,जिसने ये कर डाला हैं।
गोरों की बड़ी लंबी साजिश,खंड खंड कर डाला हैं।
शुरू करें एक समर देश में,देश ये बिकने वाला हैं।
अनिल कुमार मंडल रेल चालक/ग़ाज़ियाबाद
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