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Showing posts from January, 2022

आफताब सा जलना होगा

अपनी नस्ल बचाने खातिर , आफताब सा जलना होगा मस्त पवन की रोटी खाकर, काँटों  पे अब  चलना होगा सोंचो,देखो, चिंतन  कर लो, मैं   क्यो   ऐसा   कहता   हूँ मानसिक गुलामी मे हैं भारत, लेकिन  मे  नही  सहता  हूँ एक मेरी मसबारा मानकर, इस   बेड़ी   को  तोड़ो  तुम जो  भी हो  अवरोध राह मे, उसको  भी   न   छोड़ो  तुम जुगनूओ  ने  भ्रमित किया हैं, आफताब सा जलना होगा संग ज्ञान का  दीप जलाकर सच को  बाहर  करना  होगा कुछ  बधिर भी सुनेगा हमको शंखनाद  अब  करना  होगा मानव  तन  में  जन्म लिया तो नेक  कर्म  कुछ  करना होगा सौ  तारों  के  बीच  हमे  अब आफताब  सा  जलना  होगा भय  का  जो  बाजार  खडा हैं हमको  इससे  लड़ना  होगा अपनी  नस्ल  बचाने  खातिर , आफताब  सा  जलना  होगा म...

साल बीत गया इक्कीस वाला

 साल  बीत  गया २१ वाला, २२  में  मेरा  घर  ला दो मैं हूँ लड़की टिक टोक वाली,नये दौर का वर ला दो।  दादा बाली बाग बेच दो, या फिर मुझको कर ला दो।  तुम क्या जानो नये दौर का वर कितना प्यारा होता।  माँ, बापू  को  साथ  न  रखे, टाॅमी  सा न्यारा होता।  चिड़िया  के जगने से पहले, बिस्तर  से उठ जाता वो दूध भी लाता चाय बनाता,चाय पिला कहे सो जाओ बिन कहे  झाड़ू, पौछा,करता बर्तन  खुद ही धो लेता।  भीगी बिल्ली बन जाता,आँखों में जरा असर ला दो।  ऐसा  एक जीवंत खिलौना, बापू  सुनो मगर ला  दो।  मैं हूँ लड़की टिक टोक वाली,नये दौर का वर ला दो।  साल  बीत  गया २१ वाला, २२  में  मेरा  घर  ला दो दादा बाली बाग बेच दो, या फिर मुझको कर ला दो।  हाई हिल की सैंडिल पहनू या फटी जीन्स बजारो में।  मुझको  न  वो  रोके  टोके  मैं  रहू  लाख  हज़ारो  में।  माँग मैं अपनी सुनी रखू  या मैं  तिलकित भाल...