जग में आने से पहले
जग में आने से पहले सताई गई, कोख़ में टेटुऐ को दबाई गई मुझको मेरी खता का पता ही नहीं, कैचिया मेरे उपर चलाई गई। जग ने कहकर के अबला पुकारा मुझे, बोझ माना गटर में बहाई गई, मैं तो बेटी थी मुझमें सृजन थी बसी कुल का दीपक न थी सो बुझाई गई मेरी लोहित ही जब मेरे कातिल बने झूठी शोहरत में ये सब कराई गई जग में आने से पहले सताई गई लड़के उद्धार करते हैं एक कूल का मैं थी दो कूल की दीपक बुझाई गई जग में आने से पहले सताई गई, कोख़ में टेटुऐ को दबाई गई। कवि:-अनिल कुमार अदल