पर्व आज़ादी का
हैं पर्व अज़ादी का, हर घर में तिरंगा हो। २ उत्तर का हिम चोटी,२ उदयाचल,बंगा हो। हैं पर्व अज़ादी का, चहु और तिरंगा हो। सौराष्ट्र हो पश्चिम का,२ या जलधि तरंगा हो हैं पर्व अज़ादी का,हर दिशा तिरंगा हो। (पंजाब हो द्रविड़ हो, पुरब का कलिंगा हो। हैं पर्व आज़ादी का हर घर में तिरंगा हो। दक्षिण का दक्कन हो २ या कंचनजंघा हो। हैं पर्व अज़ादी का, हर दिशा तिरंगा हो। ) अंबर हो धरती हो,२ या उड़ती पतंगा हो है पर्व आज़ादी का , इस रंग में रंगा हो हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। सब पाये भात यहाँ,२ हर तन पे अंगा हो। हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। जीते जी छत सबको,२ मरने पे गंगा हो। हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। आपस में प्रीत रहे,२ झगडा न दंगा हो। हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। न जाति का हो च्चकर,२ न धर्म का पंगा हो हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। सच की हो जीत यहाँ,बस न्याय न धंधा हो हैं पर्व आज़ादी का हर घर में तिरंगा हो। सर्वे शन्तु सुखिनः, २ हर इंसा चंगा हो। हैं पर्व अज़ादी का,हर घर में तिरंगा हो। २ ...